Lal Parvesh Mehta jee |
युवा और मोहयाल समाज
उपरोक्त विषय मेरे विचार से आज के समय का मोहयाल समाज का एक ज्वलन्त विषय है । कई फोरम मैं, कई सभाओं में इस बार गाहे-बगाहे चर्चा सुनने में आती रही है लेकिन समस्या का कोई ठोस निवारण अभी
तक किसी सकारात्मक परिणाम कै साथ दिखाई नहीं दे रहा है ।
देश विभाजन के पश्चात हमारे समाज को विस्थापन, रोजगार, व्यवसाय आदि का बडा कठिन दौर तो गुजरना पडा । आज तक कई परिवार अभी भी इस त्रासदी से निकल नहीं पाए हैं । यह एक गहन चिन्तन
का विषय है । कहते हैं कि समय हर समस्या का मरहम है । लेकिन शायद यह मरहम भी आजतक कई परिवारों को समाज की प्रगति की मुख्य-घारा से नहीं जोड़ पाया है ।
मैं तो विभाजन पश्चात पैदा हुई पीढी का सदस्य हूँ लेकिन समाज में हुए इस समस्या का अवश्य अपने छोटे से वातावरण ने अध्यन, मनन किया है ।
हमारी शीर्ष संस्था 'जनरल मोहयाल समा' एवं उसके द्वारा मान्यता प्राप्त कई मोहयाल सभाओं ने इस विषय पर हमारी नेतृत्व ने अवश्य विचार कर कई कार्यक्रम क्रियान्वित किए लेकिन मुझे अफसोस के
साथ लिखना पड़ रहा है कि हमारे ही कुछ मोहयाल भाइयों ने इस बिषय को एक बहुत ही भददा मजाक का बना दिया है । हर वर्ष हम युवा मोहयाल समाज के लिए कुछ प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं लेकिन उसमें युवा कम और बूढे युवा अधिक सक्रिय नजर आते हैं । हमें कोई किसी के सक्रिय होने पर एतराज नहीं लेकिन उन सक्रिय व्यक्तियों से एक निवेदन है कि युवाओं को भी अवश्य मोहयाली विचारधारा से जोड़ने का प्रभावशाली कार्य करें । हम इस सबका दोषारोपणा युवाओं पर करते हैं जबकि वास्तविकता सबको मालुम है।
मेरा मोहयाल -मित्र के सभी ज्ञानी, विचारवान पाठकों से निवेदन है कि आप अपने सुझाव जी.एम.एस. सचिवालय, नई दिल्ली को अवश्य लिखें और हो सके तो एक प्रति (फोटो कापी या ईमेल) हमें,
हम विश्वास दिलाते हैं कि भविष्य मैं हमारी सभा इस ज्वलंत विषय पर अपना ठोस कार्यक्रम जो प्रभावी भी होगा आप तक हर माध्यम से पहुंचाने का अवश्य प्रयत्न करेंगे । यहीं कार्यंक्रम वास्तविक धरातल पर युवाओं को मोहयाल भावना की भूलधारा मैं पुन: वापिस लाने का हमारा प्रयास होगा, इस सबमें हमें अपके सक्रिय सहयोग की आवश्यकता है ।
आपका शुभाकांक्षी : लालप्रवेश मेहता ( लाल मेहता )
देहरादून # 9411108845
( लाल मेहता जी की अनुमति के बाद ही यहाँ उनके विचार लिखे गये है )
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