
स्वर्गीय श्री पी .एल .बाली जी का जन्म 15 अगस्त सन 1937 मैं गाँव 'शेरवान कलां' तहसील एबटाबाद ( हज़ारा - पकिस्तान ) मैं हुआ
पिता फकीरचंद जी की मृत्यु उनके बचपन मैं ही हो जाने पर माता सीता देवी जी ने उनको व दो बहनों श्रीमती दर्शना (वैद )एवं स्वार्गिये श्रीमती कमला {दत्ता ) के साथ पाल पोसा ! पिता की मृत्यु के बाद उन्हें छोटी उम्र से ही जिम्मेवारीयों से दो-चार होना पड़ा !
बंटवारे की त्रासदी से यह परिवार भी अछूता नहीं रहा ,यद्यपि पिता फकीरचंद जी एक बहुत बड़े परिवार से थे और सभी मिल कर ही बंटवारे के समय जम्मू के रास्तें से दिल्ली आये परन्तु इस दौरान कुछ अपने जैसे मैरे दादा जी और उनके चाचा जी स्वार्गिये श्री हंसराज बाली जी कबालियों से लड़ते हुये शहीद हो गये !
प्रारम्भिक शिक्षा मैं दिक्कतें आना सव्भाविक था , मैट्रिक दिल्ली के पास सटे बादली रहते हुये की और स्टेट बैंक मैं कलर्क के तौर पर नौकरी प्रारंभ की , बाद मैं लगातार पढते हुये वह आगे बड़े और स्टेट बैंक मुख्य ब्रांच से मैनेजर की पोस्ट से रिटायर हुये !
अत्यंत आज्ञाकारी बाली साहिब ने अपनी दोनों बहनों की व अपनी शादी की और सभी अन्य पारवारिक भाई -बहनों को यथायोग्य सहयोग भी दिया !
बेहद विनम्र -हंसमुख बाली साहिब ने सन 1980 के आसपास से ही मोहयाल सभा यमुनापार ( दिल्ली ) की गतिविधियों मैं हिस्सा लेना शुरू किया और सदैव उससे जुड़े रहे ! मधुरभाषी बाली साहिब कई वर्षों तक जरनल मोहयाल सभा से जुड़े रहे अपने जीवन के अंतिम कई वर्षों तक वह 'सेक्टरी फायनेंस' रहे ! सादा जीवन जीने वाले बाली साहिब ईमानदारी , कर्तव्य और निष्ठा की एक मिसाल थे !
मैं बचपन से ही उनके सान्निध्य मैं रहा परन्तु हम सभी उनके शांत व्यक्तित्व से डरते थे और ज्यदा बातचीत नहीं होती थी ,बड़ा होते होते मैरी उनसे कई विषयों पर चर्चा हुयी , मोहयाल कौम के बारे मुझे जितनी भी प्रारंभिक शिक्षा मिली उसका पूरा श्रेय ताया जी को ही जाता है !
जीवन के कई भावुक क्षणों मैंने उनको बेहद भावुक पर स्थिर पाया !
18 दिसंबर 2007 को कुछ दिन बीमार रहने के बाद वह स्वर्ग सिधारे , मैरी और हमारे पुरे परिवार की तरफ से भावभीनी श्रधान्जली !
संजीव बाली (बंटी बाली ) 9811758418
Post a Comment
Click to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.