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स्टारडम दिलाने वाले मेंटर और उसके शिष्य के बीच रिश्ते हमेशा मधुर ही बने रहें, यह कतई जरूरी नहीं।
इंडस्ट्री में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं जहां गुरु-शिष्य/शिष्या के रिश्तों में कड़वाहट आ गई। कभी खुले-आम आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए, तो कभी अलगाव का कोई कारण आधिकारिक रूप से सार्वजनिक नहीं किया गया। कभी-कभी मामला अदालत तक में जा पहुंचा, तो कई मामलों में समय से साथ गिले-शिकवे दूर भी कर लिए गए। करण जौहर ने निखिल आडवाणी को प्रमोट किया था। निखिल "कुछ कुछ होता है" के समय से करण के साथ थे। बाद में करण ने उन्हें "कल हो ना हो" निर्देशित करने का मौका दिया। मगर इसके बाद ही निखिल उनसे अलग हो गए। दोनों में मनमुटाव क्यों हुआ, इसे लेकर ठीक-ठीक कुछ नहीं कहा गया। निखिल अपने गॉडफादर की छत्रछाया से बाहर आकर फिल्में बनाने लगे। पिछले वर्ष "स्टूडेंट ऑफ द ईयर" और "दिल्ली सफारी" की रिलीज डेट को लेकर दोनों आमने-सामने भी आ गए थे। खैर, ताजा खबर यह बताई जाती है कि करण-निखिल में फिर दोस्ती हो गई है और इस दोस्ती का परिणाम एक फिल्म के रूप में भी सामने आ सकता है।
"सौदागर" से मनीषा कोईराला को ब्रेक देने वाले सुभाष घई पर इस फिल्म की रिलीज के कुछ समय बाद ही मनीषा और उनकी मां ने अभद्र व्यवहार का गंभीर आरोप लगाया था। सुभाष घई ने चुप्पे साधे रखी। बाद में मनीषा ने अपने आरोप वापस ले लिए। बताते हैं कि उन्होंने पुनः अपने गॉडफादर के साथ काम करने की इच्छा भी जताई थी लेकिन शायद सुभाष ने उन्हें कभी माफ नहीं किया। सुभाष की एक अन्य खोज महिमा चौधरी के साथ भी उनके संबंध "परदेस" के बाद अच्छे नहीं रह सके।
"रंगीला" के बाद उर्मिला मातोंडकर रामगोपाल वर्मा की हीरोइन ही नहीं, "प्रेरणा" भी कही जाने लगी थीं। बॉलीवुड तथा दक्षिण में दोनों ने अनेक फिल्में साथ कीं मगर फिर जो अलगाव हुआ, तो पुनः जुड़ाव नहीं हो पाया। रामू अन्य प्रेरणाओं की तलाश में जुट गए और उर्मिला परिदृश्य से लगभग गायब ही हो गईं। वैसे रामू ने जितने लोगों को मौका दिया है, उनमें से अधिकांश के साथ वे अच्छे संबंध बनाए रखने में सफल नहीं हुए हैं। उनकी "सत्या" से रातों-रात स्टार बने मनोज वाजपेयी ने आगे चलकर उनके खिलाफ काफी विष वमन किया था। उन्होंने रामू पर उन्हें जमकर अपमानित करने का आरोप तक लगाया था। बाद में दोनों के बीच सुलह हो गई बताई जाती है।

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